
कार्यक्रम का उद्देश्य है कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाए तो डगमगाई हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जाएगा। आध्यात्मिकता से अंतर मन की शक्तियां जागृत हो जाती है। क्षमा, दया, सेवा भाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुण जीवन में आ जाते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और संभव है। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अंजू बहन ने बताया कि आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए आध्यात्मिकता की अनिवार्यता है आध्यात्मिकता के माध्यम से ही कोई भी अपने जीवन को मूल्यवान बनाकर न्याय प्रदान कर पाएगा। आध्यात्मिक सशक्तिकरण एक अमूल्य स्थिति है जो आत्मा को जीवन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाती है, सामान्यतः मनुष्य की चेतना शरीर एवं शरीर से संबंधित व्यक्तियों, वस्तुओं एवं विलासिता से जुड़ी होती है। ये सब दुःख के कारण हैं। इस संसार को सुखी संसार में बदलने की विधि आध्यात्मिक सशक्तिकरण है।