शिक्षाविद एवं समाजसेवी नारायण त्रिपाठी के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बताएं मार्ग पर चलने का प्रण लिया गया

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कानपुर के खड़गपुर के एक विलक्षण गांव में एक किसान परिवार में जन्मे नारायण त्रिपाठी का जीवन करुणा, शिक्षा और समग्र कल्याण का प्रतीक था।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के एक जीवंत शिक्षक, एक वैद्य विशारद (आयुर्वेद रत्न) और प्योरसम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक के रूप में नारायण त्रिपाठी ने अपना जीवन शिक्षा और समग्र कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। ज्ञात हो कि प्योरसम इंडिया हाल ही में गठित एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है जिसका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बनने, शिक्षा, सनातन संस्कृति, पर्यावरण और पशु संरक्षण और दयालु सेवा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने एक ऐसी विरासत बनाई जो समुदायों का उत्थान करती है और सकारात्मक प्रभाव डालती है। 4 दिसंबर को उन्होंने अपने शरीर त्याग दिए उनकी मृत्यु के बाद उनके बताएं मार्ग पर चलते हुए उनके पुत्र अरविंद त्रिपाठी अमेरिका के शिकागो से टाटानगर अपने निवास स्थान पहुंचे और राह पर चलते हुए उनके कार्य को करने का बीड़ा उठाया

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