इस अवसर पर कक्षा एक से दसवीं तक के बच्चों के लिए अलग-अलग प्रतियोगिताएं रखी गई थी, जिसमें बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. स्कूल के प्राचार्य संजीव कुमार ने बताया कि दीपोत्सव के अवसर पर स्कूल में विभिन्न प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. इसके तहत कक्षा नर्सरी, एक व दो के बच्चों के लिए आध्यात्मिक वेशभूषा प्रतियोगिता, कक्षा तीन, चार व पांचवीं के बच्चों के बीच भारतीय पारंपरिक परिधान, कक्षा छठी और सातवीं के बच्चों के बीच दीप सज्जा एवं कक्षा आठवीं से लेकर दसवीं तक के बच्चों के लिए रंगोली प्रतियोगिता रखी गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के बीच शिक्षा के साथ संस्कार का भी समावेश करना था. इस दौरान बच्चे आराध्य देवी देवताओं के परिधान में नजर आए. भारतीय पारंपरिक परिधान की प्रतियोगिता रखने का उद्देश्य था कि बच्चे हमारे देश के विभिन्न प्रदेशों के लोगों की वेशभूषा को जाने. दीप सज्जा से यह बताया गया था जिस प्रकार दीप जलने के बाद प्रकाश होता है और अंधेरा दूर हो जाता है, इसी तरह शिक्षा आने के बाद अज्ञानता भागती है. रंगोली सज्जा के माध्यम से सभी का जीवन खुशाल और रंगीन हो इसकी कामना की गई है.