जैसा कि आप सभी जानते है कि सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर विगत दो बार आन्दोलन किया

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सरकार ने हमारी समस्या सुनी, समझी

हम दस हजार रुपये में एक पुलिस के नौकरी कर रहे है, हमें कितना पीड़ा हो रहा है सरकार ये भी

जानती है। बावजूद इसके हमारी समस्याओं का निराकरन के दिशा में सरकार कोई पहल नहीं की।

केवल और केवल एक ही कारण नजर आता है की हम राजनीतिकरण के शिकार हो गये। चुकी पुरवर्ति सरकार बहाल की थी । पुरवर्ति सरकार ने हमारे बारे में यहाँ आदिवासी, मूलवासी नौवजवान युवक युवतियों के लिए ऐसा नियम बनाया की अंग्रेज भी कभी ऐसा नियम भारतवासियों के लिए नही बनाया था। पूरवर्ति सरकार झारखण्ड वासियों आदिवासियाँ, मूलवासियाँ नौवजवान युवक युवतियों को तो नक्सली समझकर ही यह बहाली निकाली थी। सरकार की मंशा हम भोले-भाले आदिवासी क्या जाने वे तो दस हजार रुपये में नक्सलियों को सॉफ्ट आरेस्ट किया है। और भला वर्तमान सरकार कैसे उस काला कानून को परिवर्तन कर सकती है। पीछले छः वर्षों में झारखंड में नियम बदलाव हुआ, बहुत कर्मचारी नियमित हुए बहुत की वेतन बढ़ोतरी हुई तथा बहूती को पैशन भी लागू किया गया, लेकिन सहायक पुलिस को पिछले छः साल में दस हजार रुपये में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं हुई। चुकी वर्तमान सरकार को भी मालुम है न की इन नक्सलियों के साथ कैसा व्यवहार करना है।

तमाम प्रकार के अफ्तर-दफ्तर, नेता विधायक, मंत्री के आवास के दरवाजा खटखटाया यहाँ तक की माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले साल बोले की अगले वर्ष आपके नौकरी को अनुबंध बढ़ाने की जरुरत नहीं पड़ेगी हम स्थायी निदान करेंगे। परन्तु स्थायी निदान का कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। जिस कारण हम सभी में अंसतोष की भावना व्यास है। इधर दिनांक- 09/08/2023 यानी 4 दिन बाद हमारी 6ठे साल का अनुबंध भी समाप्त हो रही है।

इस हालात में सरकार यदि अनुबंध समाप्त होने से पहले हमारी मांगे पूरी नहीं करती है तो हम सभी झारखण्ड सहायक पुलिस आन्दोलन के लिए बाध्य है।

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