कुचाई के सेरेंगदा फुटबॉल मैदान में सोमवार को झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की ओर से एक जनसभा का आयोजन किया गया। जिसमें झारखंड टाइगर जयराम महतो को देखने और उन्हें सुनने के लिए भारी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों को संबोधित करते हुए टाइगर जयराम महतो ने कहा कि यदि हम सभी झारखंड की माटी,भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे नहीं आएंगे तो आने वाली पीढ़ी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। समृद्ध होने के बाद भी रोजी रोटी के लिए हमें बाहर जाना पड़ता है। झारखंड राज्य अब 22 साल का हो चुका है। झारखंड हमारे पूर्वजों के बलिदान के बाद बना लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतने वर्ष बाद भी झारखंडीयों की कोई पहचान नहीं। झारखंड को चारागाह बना कर रखा है। बाहरी लोग झारखंड की खनिज संपदा लूटकर अमीर बन रहे हैं। स्थानीय नीति व नियोजन नीति नहीं होने के कारण बाहरी यहां हमारी नौकरियों पर हक मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंडी कौन है, इसकी पहचान होनी चाहिए। क्योंकि बिहार बना बिहारियों के लिए,गुजरात बना गुजरातियों के लिए, बंगाल बना बंगालियों के लिए तो झारखंड क्यों नहीं झारखंडीयों के लिए हो सकता है।श्री महतो ने कहा कि 21 साल तक हमारे नेताओं ने झारखंड के लोगों की भाषा, संस्कृति,नौकरी कैसे सुरक्षित रहे इसके लिए कोई काम नहीं किया। हमारे नेता मंत्री सिर्फ बाबुओं के बनाए नीति नियम पर हस्ताक्षर करने का काम करते हैं। यहां 40% खनिज संपदा है, लेकिन हम गरीब बने हैं, बाहरी यहां हमारे संपदा को लूट कर अमीर बन रहे हैं। परंतु आज युवा जाग चुका है। जब तक खतियान आधारित स्थानीय नीति नहीं बनेगी आंदोलन नहीं थमेगा। यह कोई एक जाति विशेष का आंदोलन नहीं है, यह तमाम आदिवासी मूलवासी यों का आंदोल�