बुंडू के हेसादा गांव में डायन-बिसाही के आरोप में चार परिवार समाज से बहिष्यकृत, पुलिस के हस्तक्षेप से मामला सुलझा…

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डायन-बिसाही के आरोप में सोनाहातु के राणाडीह गांव में तीन महिलाओं की हत्या का मामला अभी शांत भी नहीं पड़ा था कि बुंडू के हुमटा पंचायत के हेसादा गांव में डायन-बिसाही का आरोप लगाते हुए गांव के चार परिवार को समाज से बहिष्यकृत करने का मामला प्रकाश में आया है। हांलांकी मामला लगभग दस माह पुरानी है , लेकिन पीड़ित परिवारों द्वारा बुधवार को बुंडू थाने को सूचना दी गई। पुलिस हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों में समझौता हो गया और अब स्थिति सामान्य बताई जाती है। हेसादा गांव में सिर्फ आदिवासी, मुंडा परिवार वास करते हैं। जीविकोपार्जन के लिए ये खेती बाड़ी के अतिरिक्त जंगल की लकड़ी पर निर्भर हैं। पीड़ित चार परिवारों में से एक सदस्या गुरुवारी देवी ने बताया कि गत वर्ष अक्तूबर महिने में गांव के ही युवक भरत मुंडा की जहर के कारण मौत हो गई थी। भरत मुंडा के मौत का दोषी उनके परिवार को ठहराते हुए, उन्हें समाज से बहिष्यकृत कर दिया गया। बैठक कर ग्रामीणों ने सार्वजनिक स्थल से उनके पानी लेने पर पाबंदी लगा दी। खेती-बाड़ी में भी उन परिवारों से कोई मदद न लेने और न ही मदद देने का आदेश दिया गया। गुरुवारी देवी के अनुसार मनाही के बाद भी उनका परिवार सार्वजनिक डाड़ी से पानी लेते रहे। पीड़ित दुर्गा मुंडा ने बताया कि ग्रामीणों ने औझा के निर्देश पर उनके परिवार को गांव में पुजा-पाठ कराने को कहा था। यह भी कहा गया था कि पुजा-पाठ कराने के बाद उनके परिवार का बहिष्यकार वापल ले लिया जाएगा। दुर्गा मुंडा ने बताया कि पुजा-पाठ में खर्च अधिक आने के कारण उन्होंने पुजा कराने से मना कर दिया था, तभी से गांव वाले उससे बात नहीं करते थे। दुर्गा मुंडा के बड़े भाई सोमरा मुंडा ने बताया कि थाने में मामला पहुंचने और समझौता हो जाने के बाद अब सब कुछ सामान्य हो गया है। अब सबकुछ ठीक है। ग्राम सभा अध्यक्ष लोदो मुंडा ने कहा गांव में प्रत्येक रविवार बैठक होती है। थाने में समझौते के बाद बैठक में चारों परिवारों का बहिष्यकार वापस ले लिया गया है। अब सभी ग्रामीण मिलकर रहेगें । जंगल पर सबों का समान अधिकार रहेगा। मौके पर गांव में उपस्थित बुंडू थाने के एएसआइ सुरज कुमार सिंह ने बताया जंगल की लकड़ी काटने को लेकर भी विवाद था। अब स्थिति सामान्य है। गांव में शांति व्यवस्था कायम है, सभी मिलजुल कर रह रहे हैं।
इधर ग्रामीणों ने बताया भरत मुंडा सहित गांव के चार दोस्तों ने गत वर्ष अक्तूबर माह में हड़िया पी थी। बताया जाता है कि पीड़ित परिवार के ही एक युवक ने हड़िया की व्यवस्था की थी लेकिन उस दिन उसने स्वयं हड़िया न पीकर अपने अन्य चार दोस्तों को पिला दी। हड़िया पीने के बाद चारों की तबियत बिगड़ गई। भरत मुंडा की मौत हो गई। अन्य तीन दोस्तों का रिम्स में इलाज चला लेकिन वे पुरी तरह ठीक नहीं हुए। ग्रामीणों की माने तो झाड़-फूंक से ही वे ठीक हुए। उक्त घटना के बाद ही गांव वालों ने बैठक की और हड़िया पिलाने वाले युवक के परिवार को बहिष्यकृत कर दिया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गत वर्ष नवम्बर माह में ही गांव की एक महिला की तबियत बिगड़ गई थी, तब तमाड़ के ओझा ने बताया था कि गांव में डायन है। पुजा पाठ करना पड़ेगा। पुजा-पाठ में होने वाले खर्च की व्यवस्था ग्रामीण जंगल की लकड़ी काटकर करना चाहते थे। जंगल की लकड़ी काटने पर भी विवाद था।

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