—- मेडिट्रीना अस्पताल में पैसे की वजह से अस्पताल वालों ने एक मरीज की ले ली जान: अनामिका सरदार
(जिला ब्यूरो चीफ:- सुमन मोदक)
सरायकेला/आदित्यपुर: कहा जाता है कि पृथ्वी में भगवान के बाद डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन वही अगर मौत के सौदागर बन जाए तो आम इंसान किस पर भरोसा करें आइए आप सबों को एक खास रिपोर्ट से रूबरू कराता है जहां सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर स्थित मेडिट्रीना सुपर मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल इन दिनों मरीजों से मुद्रा दोहन करने में जुटा है. मरीजों की सेवा से अस्पताल को कोई सरोकार नहीं. मरीज के परिजनों के पास अगर पैसे नहीं है, तो अस्पताल प्रबंधन मरीज के मरने तक उन्हें हाथ भी नहीं लगाते. ऐसा ही मामला मंगलवार को प्रकाश में आया. जहां पैसे नहीं जमा कराने पर मरीज गणेश मोदक का समय पर उपचार नहीं हुआ अंततः मरीज ने दम तोड़ दिया. दरअसल सीनी निवासी गणेश मोदक को बीती रात सीने में दर्द की शिकायत के बाद परिजन मेडिट्रीना अस्पताल लेकर पहुंचे थे. रात 11:00 बजे के आसपास अस्पताल प्रबंधन की ओर से बताया गया, कि उन्हें हार्ट अटैक आया है. तत्काल करीब सवा 2.25 लाख जमा कराने की बात कही. मृतक के पुत्र कैलाश मोदक ने इतनी रात को तत्काल इतना बड़ा रकम जमा करा पाने पर असमर्थता जताई. उन्होंने 50000 रुपए तत्काल देने की बात कही. डेढ़ घंटे बाद बाकी पैसे जमा कराने के लिए मिन्नतें करता रहा. यहां तक कि अपने दोस्तों रिश्तेदारों से एटीएम कार्ड मंगवा कर स्वाइप के जरिए पैसे देने की बात कही. मगर अस्पताल प्रबंधन ने स्वाइप मशीन खराब होने का हवाला देकर सारे पैसे नगद जमा करने की बात कही. इस रस्साकशी में मरीज का इलाज शुरू नहीं हो सका. रात करीब 2:00 बजे प्रबंधन की ओर से 50000 रुपए जमा कराए गए, उसके बाद करीब आधे घंटे बाद मरीज को मृत घोषित कर दिया गया. इसको लेकर मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा शुरू कर दिया. परिजन सीधे- सीधे इसके पीछे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही मान रहे हैं. वैसे मेडीटरीना अस्पताल के लिए यह कोई पहला मौका नहीं है, जब उस पर लापरवाही और मुद्रा दोहन का आरोप लगा हो. इससे पूर्व भी इस अस्पताल पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं. 1 दिन पूर्व एक पत्रकार की मां के साथ भी इसी तरह की घटना घटित हुई थी. ऐसे में जिला प्रशासन और सिविल सर्जन को इस अस्पताल पर नकेल कसने की जरूरत है. खासकर वैसे मरीज जिनके परिजन दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र से यहां इलाज कराने पहुंचते हैं. सुपर मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में स्वाइप मशीन खराब होना अपने आप में एक गंभीर विषय है. इसका मतलब सारे ट्रांजैक्शन यहां कैश में हो रहा है, जो कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है. वैसे इस मामले की जांच जरूरी है. अब देखना यह है की इस अस्पताल के ऊपर कार्यवाही कब तक होती है…?
या होती भी है कि नहीं…?
जिला प्रशासन कब तक एक्शन लेती है…?
वही इस संबंध में अस्पताल प्रबंधक की ओर से कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अभी कुछ भी बताने या अपनी बात कहने से इंकार कर रहा है वहीं सामाजिक संगठन इस मामले को हत्या करा दे रहे हैं और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से उचित कार्रवाई की मांग की है ..
Us hospital ko band kr dena chahiye hospital seva dene ke liye hota hai but ye hospital to business kr rha hai aapka channel ko thanks🙏 sahi bat ko ujaagar krne k liye
ऐसी हॉस्पिटल के ऊपर सख्त करवाई की जाए