जहां एक चिलचिलाती धूप और गर्मी से लोगों का जीना बेहाल हो रहा है,वहीं दूसरी ओर पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है।लोग घरों से बाहर निकलने के लिए कतरा रहे हैं, और यदि बाहर निकल भी जाय तो,प्यास बुझाने के लिए बूंद बूंद पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक नजारा इन दिनों राजनगर बाजार में देखने को मिल रहा है। जहां साप्ताहिक हाट में प्रखंड के कोने कोने से लोग बाजार करने आते है।सैकड़ो छोटे बड़े खुदरा व्यपारी अपनी दुकान लगाते है। अपनी पेट की आग को बुझाने के लिए कड़कती धूप और गर्मी का सामना करते हुए व्यपार चलाते है।लेकिन प्यास लगे तो बाजार में पानी तक नही मिल पाता है।
ऐसा नही है कि बाजार में पेयजल की व्यवस्था नही है,व्यवस्था तो है परंतु केवल दिखावे के लिए।जनप्रतिनिधियों द्वारा एक नही दो सोलर पंप लगे है।ताकि पानी की कमी ना हो।परन्तु ये सोलर पंप और नलकूप कई महीनों से खराब पड़ा है।इसकी सुद्धि लेने वाला कोई नही।जिस एजेंसी के द्वारा यहां सोलर पंप लगा है।उस एजेंसी वाले को इससे कोई लेना देना ही नही है।चाहे वो खराब पड़ा हो,या पानी नही के बराबर निकलता हो।
पेयजल संकट दूर करने के लिए हर गांव ,गली मोहल्ले में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था दी गई है परंतु इन जनप्रतिनिधियों और एजेंसियों को तो केवल अपनी मोटी कमाई से मतलब है।इन सोलर पम्पों से लोगों की प्यास बुझ रही है,पानी निकल रहा है या नही इससे कोई मतलब नही है।
बाजार में लोग खरीदारी करने आते है।प्यास लगती है।तो बाजार में लगे सोलर पंप के पास जाते है और मायूस लौट जाते है।क्योंकि पानी नही निकलता है।या फिर बून्द बून्द निकलता है। सामने लगा नलकूप भी सालों से खराब पड़ा है।एक और पंप है जहां पानी तो निकलता है।परन्तु आधा घंटा रूकने के बाद।मजबूरन लोगों को बाजार से दूर एक नलकूप में लंबी लाइन लगा कर पानी मिल पाता है।
ऐसे में लोग अपनी प्यास बुझाने कहाँ जाय।ये एक बड़ी समस्या है।और यदि इस पर जल्द संज्ञान लेकर ठीक नही कराया गया।तो आने वाला समय काफी भयावाह की स्तिथि हो जाएगी।
*सरायकेला/राजनगर से रवि कांत गोप की रिपोर्ट*