वन उत्पादकता संस्थान रांची के निदेशक डा0 नितिन कुलकर्णी ने खरसावां स्थित बुनियादी बीज प्रगुणन व प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण किया। तसर सिल्क के विकास की संभानाओं का तलाशने का प्रयास किया। इस दौरान के निर्देशक ने खरसावां स्थित बुनियादी बीज प्रगुणन व प्रशिक्षण केंद्र स्थित कोकुन बैक, बिजागार भवन व तसर फार्म का निरीक्षण करते हुए कहा कि मानव जीवन में जैव विविधता का बड़ा महत्व है। इस संसार में सभी जीवन को स्थिर बनाये रखने में जैव विविधता एक अहम योगदान निभाती है। उन्होंने कहा कि साल ट्री को शाल या साखू भी कहा जाता है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में इस्तेमाल की जाती है। साथ ही, इसका छाल बहुत ही मुलायम होता है जिसका इस्तेमाल औषधी के तौर पर किया जा सकता है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत होती है, जो भूरे रंग की होती है। वही केंद्रीय रेशम बोर्ड की खरसावां के वैज्ञानिक-बी डाॅ बी थिरूपम रेड्डी से अन्य जानकारी भी ली। इस दौरान मुख्य रूप से कमल देव कुमार दास, मलाय मंडल सहित किसान उपस्थित थे।