एक तरफ कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो रही है अगर हम कोरोना से हट कर बात करें तो सामान्य मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती जा रही है ऐसे में श्मशान घाट में किसी तरह की परेशानी ना हो इसे लेकर बिष्टुपुर स्थित पार्वती श्मशान घाट में तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है देखिए खास रिपोर्ट में।
कोरोना से मरने वाले मरीज़ों के शव के दाह संस्कार के लिए भुईयाडीह श्मशान घाट बनाया गया है पर मृत्यु दर में बढ़ोतरी होने के कारण भुइयांडीह श्मशान घाट में सामान्य मौत के शव का दाह संस्कार बंद कर दिया जाता है जिसके बाद पार्वती श्मशान घाट में दाह संस्कार की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती हैं, दूसरी लहर में पार्वती श्मशान घाट प्रबंधक को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, एक साथ 80 से 100 शवों का दाह संस्कार करना पड़ा, पहले हम पहले हम के चक्कर में कई बार दाह संस्कार करने आए लोगों के बीच विवाद भी हुआ, ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है।
वर्तमान समय में पुनः आम लोगों की मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई हैं ऐसे में पार्वती श्मशान घाट की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है,2 फर्नेस मशीन, 4 लकड़ी के लिए और दो स्टैंड गोइठा और लकड़ी के लिए तैयार किया गया है जहां 1 दिन में 40 शवो का दाह संस्कार को संभव किया गया है बावजूद इसके अगर संख्या में बढ़ोतरी होती है तो पार्वती घाट के बाहर बड़े मैदान को वैकल्पिक श्मशान घाट बनाने की तैयारी की जा रही है वहीं जानकारी देते हुए पार्वती श्मशान घाट के सचिव दीपेंद्र नाथ भट्ट बताते हैं कि आम लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है।
वही श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए आए आम लोग भी श्मशान घाट की तैयारी पर अपना संतोष जाहिर किया वही परसुडीह निवासी सुदीप्तो डे ने बताया कि तीसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को जिला प्रशासन के द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करने की जरूरत है बावजूद इसके अगर किसी तरह की अनहोनी होती है तो उसके लिए पार्वती श्मशान घाट ने अपनी तैयारी पूरी की है ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को संयम बरतकर हर कार्य करने की जरूरत है।
बहुत जरूरी है कि जिला प्रशासन के द्वारा जारी गाइडलाइन का हम पालन करें ताकि इस तरह की अनहोनी का सामना हमें ना करना पड़े बावजूद इसके अगर स्थिति विकराल होती है तो हर परिस्थिति मे एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की जरूरत है।