
सर्दियों की शुरुआत के साथ जमशेदपुर और इसके आसपास के इलाकों में इन दिनों प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। चांडिल डैम, डिमना लेक, खरकई और सुवर्णरेखा नदी किनारों पर दूर-दराज देशों से आए प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सुबह की सुनहरी धूप से लेकर शाम की हल्की ठंड तक, जलाशयों पर रंग-बिरंगे पक्षियों की अटखेलियां किसी प्राकृतिक उत्सव से कम नहीं लगतीं।
वन विभाग के अनुसार इस बार एक दर्जन से अधिक विदेशी प्रजातियों ने जमशेदपुर क्षेत्र में दस्तक दी है। यूरोप, अफ्रीका, साइबेरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे हजारों किलोमीटर दूर देशों से आए ये पक्षी हर साल की तरह इस बार भी सर्दियां बिताने सुरक्षित आवास की तलाश में यहां पहुंचे हैं। विभाग की टीम उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है ताकि उन्हें सुरक्षित और अनुकूल वातावरण मिल सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासी पक्षियों का आगमन न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। जलाशयों की स्वच्छता और प्राकृतिक आवासों के संरक्षण से आने वाले वर्षों में इनकी संख्या और विविधता और बढ़ सकती
इस बार जिन प्रवासी पक्षियों ने जमशेदपुर और आसपास के जलाशयों को अपना ठिकाना बनाया है उनमें प्रमुख हैं—
यूरेशियन विगॉन, वर्डिटर फ्लाईकैचर, महान जलकाग, हिमालयी नीली पूंछ, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, अल्ट्रामरीन फ्लाईकैचर, रूडी शेल्डक, साइबेरियाई रूबी गला, ग्रे-हेडेड कैनरी फ्लाईकैचर, साइबेरियाई स्टोनचैट, ब्लू-फ्रंटेड रेडस्टार्ट, कॉमन कूट और गुच्छेदार बत्तख।
पटमदा के प्रभारी वनपाल राजा घोष ने बताया किहर साल सर्दी की शुरुआत में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है, लेकिन इस बार संख्या और भी अधिक है। यह बताता है कि क्षेत्र का वातावरण प्रवासी पक्षियों के लिए लगातार बेहतर हो रहा है।”
प्रवासी पक्षी मौसम में बदलाव, भोजन की उपलब्धता और सुरक्षित आवास की तलाश में प्रवास करती हैं।
ये अगस्त से नवंबर के बीच अपने मूल ठंडे स्थानों से निकलकर गर्म इलाकों में पहुंचती हैं।
फरवरी से मई के बीच वापस लौटती हैं।
साइबेरिया और यूरोप जैसे क्षेत्रों में तापमान अत्यधिक गिरने पर भोजन की भारी कमी हो जाती है।ऐसे में वे भारत के गर्म, जलसमृद्ध और सुरक्षित इलाकों को चुनती हैं।
इनके उड़ान मार्ग (फ्लाइवे) समुद्री तटों, नदी घाटियों और पर्वतीय श्रृंखलाओं से होकर गुजरते हैं, जो उन्हें लंबे प्रवास में सहारा देते हैं।
रूडी शेल्डक (ब्राह्मणी बत्तख)
यूरोप और मध्य एशिया में पाई जाने वाली यह प्रजाति सर्दियों में भारत की ओर प्रवास करती है। ये हजारों किलोमीटर उड़ान भरकर झीलों, आर्द्रभूमि और नदी किनारों में पहुंचती हैं, जहां इन्हें भरपूर भोजन और अनुकूल तापमान मिलता है।
ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब
यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली यह आकर्षक जलपक्षी प्रजाति सर्दियों में भारत का रुख करती है। यूरोप और साइबेरिया में कठोर ठंड और बर्फबारी के कारण भोजन की कमी हो जाती है, जबकि भारत का मौसम इनके लिए अनुकूल होता है।
ग्रे-हेडेड कैनरी फ्लाईकैचर
साइबेरिया जैसे अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों से यह पक्षी भारत के उप-हिमालयी और मध्य हिस्सों में आता है। गर्म मौसम और कीटों की बेहतर उपलब्धता इसे यहां तक खींच लाती है।
प्रवासी पक्षियों की बढ़ती संख्या साफ संकेत देती है कि जमशेदपुर और आसपास के जलाशय सुरक्षित और स्वच्छ हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि जल स्रोतों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण पर ऐसे ही जोर दिया गया, तो आने वाले समय में यह इलाका प्रवासी पक्षियों का प्रमुख शीतकालीन गंतव्य बन सकता है।
सर्दियों के आगमन के साथ प्रकृति ने जैसे जमशेदपुर को एक बार फिर रंगों का सुंदर तोहफा दिया है—और इन प्रवासी मेहमानों की चहचहाहट पूरे क्षेत्र में एक नया जीवन घोल रही है।
