
विस्थापित परिवारों का आरोप है कि कंपनी द्वारा 2003 में जमीन अधिग्रहण के समय हुए लिखित समझौते के बावजूद अब तक उनके परिवार को पूर्ण रोजगार नहीं मिला है. गोविन्दा कालिंदी, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बताया कि “2003 के समझौते के अनुसार हमारे परिवार को 5 नौकरियां मिलनी थीं, जिनमें से केवल 3 दी गई हैं, जबकि 2 अब तक लंबित हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर 19 अगस्त 2025 को जिला प्रशासन को लिखित आवेदन सौंपा गया था और 27 अगस्त को कंपनी के जीएम ने समाधान का आश्वासन भी दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. विस्थापितों ने आरोप लगाया कि कंपनी के HR अधिकारी आरएन. प्रसाद ने 9 सितम्बर को उन्हें सार्वजनिक रूप से जान से मारने की धमकी दी, जिसकी गवाही कई लोगों ने दी है. इस संबंध में उन्होंने लिखित गवाह प्रमाण पत्र भी जिला प्रशासन को सौंपा है. परिवारों का कहना है कि कंपनी बार- बार “देख लीजिए, हो जाएगा” कहकर टाल- मटोल कर रही है, जबकि विस्थापित अपने हक के लिए पिछले कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. कालिंदी परिवारों ने 06 अक्टूबर 2025 को शांतिपूर्ण आंदोलन की पूर्व सूचना उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और अनुमंडल पदाधिकारी को दी थी, साथ ही सुरक्षा और प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग की थी. सोमवार सुबह आंदोलन के दौरान अमलगम स्टील कंपनी का मुख्य गेट घंटों तक बंद रहा. आंदोलनकारियों ने बैनर- पोस्टर लगाकर कंपनी से “2003 के समझौते का पालन करो” और “विस्थापितों को रोजगार दो” जैसी मांगें रखीं. इस दौरान पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति पर नजर बनाए रखी. हालांकि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि जब तक लंबित नौकरियों की बहाली नहीं होती, वे पीछे नहीं हटेंगे. गोविन्दा कालिंदी ने कहा कि यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता है, तो आंदोलन को आगे और तेज किया जाएगा. समाचार लिखे जाने तक कंपनी प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. फिलहाल आंदोलन जारी है.