अलकायदा के संदिग्ध आतंकियों को 9 साल बाद कोर्ट से राहत, साक्ष्य के अभाव में सभी बरी

Spread the love

जमशेदपुर: अल-कायदा के तीन संदिग्ध आतंकियों को कोर्ट ने 9 साल बाद साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। शुक्रवार को एडीजे-1 विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया। इनमें से कटकी और मोहम्मद शमी अब भी जेल में बंद हैं, जबकि कलीमुद्दीन पहले ही जमानत पर बाहर आ चुका था। इन तीनों आरोपियों—मौलाना कलीमुद्दीन मुजाहिद (मानगो, जमशेदपुर), मोहम्मद अब्दुल रहमान अली खान उर्फ मौलाना मंसूर कटकी (कटक, ओडिशा) और अब्दुल शमी (धतकीडीह, जमशेदपुर)—को 2016 में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने दिल्ली की स्पेशल टीम से मिली सूचना के आधार पर कार्रवाई की थी। तत्कालीन बिष्टुपुर थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह की शिकायत पर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस पूछताछ के दौरान अहमद मसूद अकरम शेख नाम के व्यक्ति ने आरोपियों के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात मानी थी। मसूद ने पुलिस को बताया था कि उसकी पहली मुलाकात 2003 में अब्दुल रहमान उर्फ कटकी से साकची में हुई थी। कटकी ने सऊदी अरब में जेहादी प्रशिक्षण लिया था। वहीं, मानगो के राजू उर्फ नसीम अख्तर ने मसूद को हथियार उपलब्ध कराए थे। पुलिस ने मसूद के घर से एक लोडेड पिस्तौल भी बरामद की थी। इसके अलावा, जांच में यह भी सामने आया था कि कलीमुद्दीन का घर संगठन का अड्डा था, जहां से युवाओं को संगठन में भर्ती किया जाता था। अब्दुल शमी पर पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण लेने का भी आरोप लगा था।16 गवाहों की गवाही के बाद कोर्ट का फैसला इस मामले में कुल 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। लेकिन अदालत ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। इस आधार पर कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया। फैसले के बाद कटकी के भाई मोहम्मद ताहिर ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और सच की जीत हुई है। वहीं, आरोपियों के वकील बलाई पांडा ने बताया कि बिना ठोस सबूतों के इन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब कोर्ट ने न्याय कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *