लगातार उनके द्वारा जनता के बीच पहुंचकर जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है, गली मोहल्ले में घूम-घूम कर अभी अपने पक्ष में जनता से समर्थन मांग रहे हैं, उनके अनुसार उनकी लड़ाई परिवार वाद के खिलाफ है, राजकुमार सिंह बताते हैं कि उन्होंने विगत 27 वर्ष भाजपा में रहकर पार्टी की सेवा की, लेकिन चुनाव के वक्त परिवारवाद हावी होता देख उन्होंने निर्दलीय लड़ने का फैसला लिया, कार्यकर्ताओं के सम्मान को बचाने हेतु उन्होंने यह फैसला लिया है, उन्होंने कहा कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व कमजोर हो चुका है और बाहरियों को टिकट दिया जा रहा है, जबकि आंदोलन के वक्त पार्टी के कार्यकर्ता ही लाठी और डंडा खाते हैं, और वर्षों वर्षों तक पार्टी का झंडा यही कार्यकर्ता ढ़ोते हैं, लेकिन टिकट के वक्त पार्टी जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर देती है, इसी कारण उन्होंने यह फैसला लिया है, साथी कहा कि जनता का अपार प्रेम और समर्थन उन्हें मिल रहा है, उन्होंने कहा की जीत के उपरांत उनकी पहली प्राथमिकता तमाम सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारना होगा.