इस अवसर पर केरला समाजम के अध्यक्ष मुरलीधरन ने बताया कि हम लोग अपनी केरल की परंपरा और संस्कृति का निर्वहन कर रहे हैं। इस समय हमारे यहां धान की फसल होती है। हम लोग इस त्यौहार के अवसर पर अपनी परंपरागत धोती पहनते हैं और केले के पते में 22- 23 प्रकार के भोज्य सामग्री ग्रहण करते हैं। हमारा यह त्योहार दो महीने तक चलता है। जिसमें गीत संगीत नृत्य रंगोली प्रतियोगिता आदि शामिल है। हम लोग सीएसआर के तहत यह स्कूल भी चलाते हैं।
श्री मुरलीधरन ने बताया कि ओणम का पर्व केरल के असुर राजा महाबली से जुड़ा हुआ है। जिससे प्रभु श्री कृष्ण ने वामन अवतार के रूप में तीन कदम जमीन मांगी थी। पहले कदम से पृथ्वी और दूसरे कदम से आकाश नाप दिए थे और तीसरा पांव वामन अवतार प्रभु श्री कृष्ण ने महाबली के माथे पर रखा और उसे दबाकर पाताल लोक भेज दिया। उस समय महाबली ने यह प्रार्थना की थी कि साल में मुझे एक बार प्रजा से मिलने का अवसर दिया जाए।
उन्होंने बताया कि महाबली बहुत ही न्याय प्रिय और दानवीर राजा थे। उनकी दान शीलता और न्याय व्यवस्था से भगवान भी भयभीत रहते थे। जिसके कारण भगवान ने उसे पाताल लोक भेजा ।
ओणम की तैयारी 10 दिन पहले से शुरू हो जाती है।
वहीं केरला समाजम के महासचिव सुनील कुमार ने कहा कि हम लोग हर साल ओणम का पर्व बड़ी उत्सवपूर्वक मानते हैं। इस बार केरल में ओणम 29 अगस्त को मनाया जाएगा। हम लोग ओणम के पहले रविवार या बाद के रविवार में इसलिए मानते हैं ताकि सभी लोग मिलजुल कर छुट्टी के दिन उत्साहपूर्वक ओणम का पर्व मनाएं।
इस अवसर पर फूलों द्वारा बड़ी सुंदर रंगोली और अर्पण बनाया जाता है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती है। खेलकूद होते हैं। इस में भोजन का अधिक महत्व है। 1200 के आसपास लोग आज यहां भोजन करेंगे। जिसमें विभिन्न जाति धर्म के लोग शामिल होंगे।