भारत के महान अध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की जयंती (युवा दिवस) के अवसर पर टेलको स्थित भुवनेश्वरी मंदिर की तलहटी पर स्वामी विवेकानंद की प्रशंचित ध्यान मुद्रा में विराजमान आदमकद प्रतिमा का अनावरण विधायक सरयू राय ने किया

भारत के महान अध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की जयंती (युवा दिवस) के अवसर पर टेलको स्थित भुवनेश्वरी मंदिर की तलहटी पर स्वामी विवेकानंद की प्रशंचित ध्यान मुद्रा में विराजमान आदमकद प्रतिमा का अनावरण विधायक सरयू राय ने किया. सरयू राय ने कहा की देश के विख्यात अन्य धर्माचार्यों की प्रतिमाओं को यहां स्थापित कर इस स्थल को झारखंड के हेरिटेज फ्रंट के रूप में विकसित करने का सतत प्रयास करूंगा. प्राकृतिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए इस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण और विकास करने का ऐलान किया.

12 जनवरी को स्वामी वीवेकानंद जी की जयंती युवा दिवस के अवसर पर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने टेलको स्थित भुवनेश्वरी मंदिर की तलहटी पर पुज्य स्वामी विवेकानंद जी की प्रशंचित ध्यान मुद्रा में विराजमान आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. भुवनेश्वरी मंदिर एवं श्री श्री कृष्ण मंदिर से दिव्य दिपक प्रज्वलित कर पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पुरे विधि-विधान से प्रतिमा का अनावरण किया. विधायक सहित मौजूद सभी अतिथियों ने नव-स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया. गणेश वंदना की स्तुति के साथ स्वागत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम में आए हुए गणमान्य

विधायक सरयू राय ने कहा की
एक वर्ष पूर्व प्रतिमा स्थापन के लिए शिलान्यास किया गया था. ठीक एक साल बाद अनावरण हुआ है. प्रतिमा स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखकर विधायक फंड से राशि विमुक्त करने के लिए कहा. किंतु व्यवधान हुआ विधायक फंड की स्वीकृती प्रशासन से नहीं मिली. 20 दिन पहले लगा की यहाँ की दैवी शक्ति नहीं चाहती की इस प्रतिमा अधिष्ठापन के पुनीत कार्य प्रशासन का कोई पैसा लगे, अत्यंत कम समय में स्वामी जी की प्रतिमा तैयार हो गई और प्रशासन का पैसा बिना लगे आपसी सहयोग से प्रतिमा स्थापन कार्य संभव हुआ.


श्री राय ने कहा की स्वामी जी आध्यात्मिक शक्ति, युवाओं के मार्गदर्शक, कर्म के प्रतिक हैं. उनकी प्रतिमा के आगे जो शिला के प्राकृतिक स्वरूप, जो प्रस्तर खंड है उसे वैसे ही रखकर प्रतिमा का अधिष्ठापन किया गया. स्वामी जी के नाम पर विवेकानंद कन्याकुमारी रोक मेमोरियल है. स्वामी जी सन 1892 में कन्याकुमारी पहुंचे उनकी इच्छा हुई की वहाँ समुद्र के बीच स्थित शिलाखंड में जाकर तपसया आरंभ करू. वे तैरकर शिलाखंड पहुँचे और तपस्या किया. आज दुनियाभर के लोग रॉक मेमोरियल में स्टीमर से जाते है वहाँ स्वामी जी तैरकर गए थे और साधना की थी. ठीक वैसी ही छोटा रॉक मेमोरियल के रूप में भुवनेश्वरी मंदिर की इस तलहटी पर प्रस्तर खंड पर स्वामी जी की प्रतिमा स्थापित है. प्राकृतिक स्वरूप बरकरार रखते हुए इस स्थान को और विकसित करेंगे. बिरसानगर एक तरफ और टेलको एक तरफ है. इस स्थान को और अधिक सुन्दर बनाने का प्रयास करेंगे. जमशेदपुर को लघु भारत कहा जाता है. सभी धर्म के लोग यहाँ मिलजुल कर रहते हैं. इसलिए बाकी जो यहाँ शेष स्थान है वहाँ देश के विख्यात अन्य धर्माचार्यों की भी किसी ना किसी रूप में स्थापित करने का प्रयास करेंगे और इस स्थल को झारखंड के हैरिटेज फ्रंट के रूप में विकसित करेंगे. स्वामी जी ने कहा थी उठो जागो और तब तक मत रूको जब तक लक्ष्य प्राप्ती ना हो जाए. वे 39 वर्ष ही जिंदा रहे सके और 39 वर्ष की अल्प आयु में ही दुनियाभर में एतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया. राष्ट्रीय युवा दिवस को युवा लक्ष्य अख्तियार करे जिसके लिए स्वामी जी ने प्रेरणा दी थी. हम इनको स्मरण करें. युवाओं को सही दिशा दिखाए. जमशेदपुर शहर को विभिन्न रंगो वाली फुलवारी के रूप में विकसित करें.

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