बुंडू नगरपंचायत द्वारा अग्रधन की ऱाशि नहीं लौटाये जाने पर आजसू कार्यकर्ता सह बुंडू सब्जी बाजार के पूर्व संवेदक ने दी आत्मदाह की धमकी

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रिपोर्टर जितेन सार बुंडू
लोकेशन बुंडू

बुंडू सब्जी बाजार के पूर्व संवेदक और आजसू कार्यकर्ता विजय कुम्हार ने आगामी 11 मई को बुंडू नगरपंचायत कार्यालय के समक्ष आत्मदाह करने की धमकी दी है। बुंडू के कुशवाहा भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता में विजय कुम्हार ने कहा कि सब्जी बाजार एवं बुंडू बस पड़ाव पर टोल वसूली के लिए गत 28 मार्च को निविदा आयोजित की गई थी, जिसमें उन्होंने भाग लिया था। निविदा शर्तों के अनुसार उसने सब्जी बाजार के लिए एक लाख 61 हजार सात सौ और बस स्टैंड के लिए 31 लाख 64 हजार 175 रुपये, (कुल 33 लाख 25 हजार 875) बैंक ड्राफ्ट द्वारा नगरपंचायत कार्यालय में जमा किया था। डाक में टेंडर विजय कुम्हार के नहीं मिला। विजय कुम्हार के अनुसार अग्रधन की जमा राशि 31 मार्च को तक उसे वापस मिल जाना चाहिए था। लेकिन अबतक नगरपंचायत कार्यालय द्वारा उसे वापस नहीं किया गया है। विजय कुम्हार ने बताया कि उन्होंनें 11 एवं 27 अप्रैल को बुंडू नगरपंचायत कार्यपालक पदाधिकारी सह बुंडू एसडीओ, 19 अप्रैल को बुंडू नगर अध्यक्ष, 26 अप्रैल को उपायुक्त एवं 2 मई को नगर विकास सचिव को लिखित आवेदन देकर अग्रधन की ऱाशि वापस किए जाने की मांग की लेकिन अबतक कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। विजय कुम्हार ने बताया कि निविदा लेने के लिए उन्होंने दोस्तों से रुपये उधार लिए थे। अब राशि वापस नहीं मिलने से वे रोड पर आ गए हैं। उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रेस वार्ता में विजय कुम्हार ने धमकी दी कि यदि 10 मई तक उसे राशि वापस की नहीं गई तो वे 11 मई को सुबह 11 बजे नगरपंचायत कार्यलय के समक्ष आत्मदाह कर लेंगें।
अजय कुमार साव, एसडीओ सह नगरपंचायत कार्यपालक पदाधिकारी,बुंडू——-
सत्र 21-22 में तेज नारायण कुशवाहा द्वारा बुंडू बस पड़ाव का डाक विया गया था, जिसमें लगभग ग्यारह लाख रुपये वकाया है। तेज नारायण कुशवाहा का शैडो पार्टनर विजय कुम्हार भी था। उसी वकाये की वसूली के लिए राशि जांच होने तक रोककर रखी गई है। जांच में पता चलता है कि विजय, तेजनारायण का शैडो पर्टनर नहीं था तो विजय कुम्हार की अग्रधन की पुरी राशि उसे लौटा दी जायेगी।
तेज नारायण कुशवाह, बुंडू बस स्टैंड का पूर्व संवेदक- सत्र 20-21 में कोरोना के कारण 71 दिनों तक सम्पूर्ण लोक डाऊन था। इस दौरान बसे व अन्य वाहन चले ही नहीं तो टोल की वसूली भी नहीं हुई। सत्र 19-20 में भी लगभग पांच माह लोक डाऊन में टोल राशि माफ की गई थी। उसी आधार पर 20-21 सत्र में भी 71 दिनों की टोल वसूली माफ होनी चाहिए।

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