
इसी क्रम में बुधवार को दिल्ली और रांची से आई 5 सदस्यीय केंद्रीय जांच टीम ने जमशेदपुर के मानगो डिमना चौक स्थित एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक का औचक निरीक्षण किया। टीम में एम्स, दिल्ली और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. एस. राजा, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. सत्य प्रकाश समेत अन्य अधिकारी शामिल थे।
निरीक्षण के दौरान टीम ने ब्लड बैंक की संपूर्ण व्यवस्था को गहराई से परखा। रक्त संग्रहण से लेकर मरीजों को रक्त वितरण तक की प्रक्रिया का बारीकी से अध्ययन किया गया। अधिकारियों ने बताया कि एमजीएम ब्लड बैंक में करीब पांच हजार यूनिट रक्त रखने की क्षमता है। टीम ने निर्देश दिया कि सभी रजिस्टरों और रक्त संबंधी आंकड़ों को तत्काल ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया जाए, ताकि राज्य और केंद्र स्तर से किसी भी समय जानकारी उपलब्ध हो सके।
टीम को बताया गया कि एमजीएम में फिलहाल सीबीनेट मशीन उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी और सी की जांच के लिए रक्त नमूनों को रांची भेजना पड़ता है। वहां से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है, जिसके बाद सुरक्षित रक्त का उपयोग किया जाता है। टीम ने इसे सुधार के लिए आवश्यक उपकरण शीघ्र उपलब्ध कराने की सिफारिश की।
केंद्रीय टीम ने अस्पताल स्थित एआरटी (रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर का भी निरीक्षण किया, जहां एचआईवी संक्रमित मरीजों को मुफ्त इलाज, परामर्श और नियमित दवाएं प्रदान की जाती हैं। टीम ने केंद्र की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कुछ सुधारात्मक सुझाव भी दिए।
इधर, सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल और ड्रग इंस्पेक्टर अबरार आलम ने जमशेदपुर के सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक का निरीक्षण किया। जांच के दौरान यह सामने आया कि यहां ब्लड सेपरेशन मशीन नहीं है, जिसके अभाव में एक यूनिट खून से चार घटक (प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, आरबीसी और पीआरबीसी) तैयार नहीं किए जा सकते। अधिकारियों ने कहा कि यदि यह मशीन उपलब्ध हो, तो एक यूनिट रक्त से चार मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
केंद्रीय टीम ने निरीक्षण के दौरान मिले सभी बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसे राज्य स्वास्थ्य विभाग को सौंपी जाएगी। टीम ने कहा कि राज्य के ब्लड बैंकों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और डिजिटल बनाने की दिशा में जल्द कदम उठाए जाएंगे, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही या गड़बड़ी न हो।
