झारखंड राज्य चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारी संघ ने चार सूत्री मांगों को लेकर दिया धरना, सरकार से शीघ्र समाधान की मांग

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झारखंड राज्य चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारी संघ, झारखंड राज्य समिति के आह्वान पर आज पूर्वी सिंहभूम जिला शाखा द्वारा जिला उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एकदिवसीय धरना दिया गया। संघ के पदाधिकारियों व सदस्यों ने इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम चार सूत्री मांग पत्र समर्पित करते हुए राज्य सरकार से शीघ्र सकारात्मक पहल की मांग की।
संघ ने आरोप लगाया कि झारखंड राज्य के गठन के बाद से चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। जहां अविभाजित बिहार में योग्यता और वरीयता के आधार पर तृतीय वर्गीय पदों पर 25% पदों पर पदोन्नति का प्रावधान था, वहीं झारखंड बनने के बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई और अब पदोन्नति के लिए अयोग्यता परीक्षा की बाध्यता लागू कर दी गई है, जो कर्मचारी हितों के खिलाफ है।
. झारखंड सरकार के सभी विभागों में कार्यरत नियमित चतुर्थवर्गीय कर्मियों को वरीयता एवं योग्यता के आधार पर तृतीय वर्ग के पद पर पदोन्नति दी जाए। झारखंड गठन के बाद से यह पदोन्नति प्रक्रिया लंबित है।
केंद्र सरकार के अनुरूप राज्य के सभी चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को ग्रेड पे 1800/- के साथ “समूह ग” में वर्गीकृत किया जाए।
10 वर्षों की सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को ग्रेड पे 2400/- प्रदान किया जाए।
छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को 10 वर्षों की सेवा के उपरांत जो 2610-4000 वेतनमान मिलता है, उसकी जगह उच्च वेतनमान 3050-4590 लागू किया जाए।
संघ ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार शीघ्र इन मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं करती है तो आगामी 30 जुलाई 2025 को राज्यस्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें झारखंड भर के कर्मचारी भाग लेंगे।
धरना कार्यक्रम के दौरान कर्मचारियों ने नारेबाजी कर अपनी एकजुटता और संघर्षशीलता का परिचय दिया और स्पष्ट किया कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।

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