संबोधित करते हुए क्षेत्र के जन प्रतिनिधि और निवर्तमान हो रहे विधायक संजीव सरदार पर कड़ा प्रहार किया और एक एक उदाहरण देकर खुली चुनौती दी कि कमीशनखोरी के कारण डुमरिया में सरकार की स्वास्थ , शिक्षा, सडक़, आदि की योजनाएं किस कदर बर्बाद हुईं और लोगों को उनका लाभ नहीं मिला। उपस्थित जनसमूह ने तालियां बजा बजाकर उनके हर उदाहरणों का समर्थन किया। श्री मुंडा ने कहा कि दुर्भाग्य है कि डुमरिया सहित क्षेत्र में नियुक्त तमाम आंगनबाड़ी सेविकाओं से दो दो हजार रुपये कमीशन की वसूली होती है जो माताओं के गर्भ में पल रहे शिशुओं का हिस्सा होता है । इस प्रकार गर्भस्त शिशु का जब खुलेआम कोई जनप्रतिनिधि हक मारता हो तो अन्य लोगों और सरकार की योजनाओं से क्या क्या वसूला जाता होगा, यह बताने की जरुरत नहीं। यही कारण है कि सडक़ का निर्माण पूरा नहीं हुआ। अस्पताल भवन बंद पड़ा रहा और इसका विरोध करने वालों को डरा धमकाकर चुप कराया जाता है। उन्होंने सवाल किया कि सेरालडीह से नरसिंहबहाल रोड क्यों नहीं बना? क्या कारण है कि इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो रहा है। लोगों ने खुद जवाब दिया कि कमीशनखोरी के कारण ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं। श्री मुंडा ने आंगनबाड़ी सेविकाओं के बारे में बताया कि उन्हें सरकार जो मानदेय और खाद्य सामग्री देती है, वह गर्भवती माताओं के स्वास्थ के निमित होता है। दुर्भाग्य है कि ऐसी आंगनबाड़ी सेविकाओं से भी 2-2 हजार रुपये वसूलकर जन प्रतिनिधि को पहुंचाया जाता है। ऐसी स्थिति में आंगनबाड़ी सेविकाएं उन माताओं और गर्भस्थ शिशुओं का क्या और कैसे ख्याल रखती होंगी? वे डर से नहीं बोलतीं कि उन्हें कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। श्री मुंडा ने डुमरिया प्रखंड मेंकोव्वाली सडक़ अधूरा पडऩे ,डुमरिया सीएसची काला ईंटा से बनने, जिस कारण उसका छज्जा गिर रहा है, डिग्री कालेज नहीं खोलने, राशन दुकानों से चावल, कालाबाजार में बेचने, आदि जैसी मूलभूत समस्याओं को गिनाया जिसे लोगों ने तालियां पीट पीट कर समर्थन किया। श्री मुंडा ने कहा कि वे आंदोलन की उपज हैं। उन्हें और आम लोगों को डराने की कोशिश बंद नहीं हुई तो वे भी अपने आंदोलनकारी रुप में आ जाएंगें क्योंकि छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं में हम भरोसा करते हैं। जन सभा में मुद्दा के साथ अनेक स्थानीय भाजपा नेता पूर्व मुंत्री विशेश्वर टुडू आदि ने भी अपने वक्तव्य दिये।