आज होल‍िका दहन, डांडा रोपण के साथ शुरू हुई पूजा-अर्चना

आज यानी गुरुवार को होलिका दहन है. इस की तैयारी मुकम्‍मल की जा रही है. डांडा रोपण के साथ पूजा-अर्चना भी की जा रही है. मारवाड़ी सम्मेलन के द्वारा साकची के आमबगान में होलिका दहन का कार्यक्रम रखा गया है जहां पर मारवाड़ी समाज की महिलाएं होल‍िका दहन से पूर्व पूजा-अर्चना कर रही हैं. उधर, होलिका दहन के पहले श्री श्री नीलकंठेश्वर हनुमान मंदिर काशीडीह की ओर से पुआल टॉल के निकट भक्त प्रह्लाद का पूजन कर डांडा रोपण किया गया. इस दौरान मारवाड़ी समाज के गणमान्य लोग उपस्थित थे. यहां रात्रि 1 बजकर 25 मिनट पर होलिका दहन क‍िया जाएगा.
होलिका और प्रह्लाद की पौराणिक कथा
होली की कई तरह की पौराणिक कथा प्रचलित है. सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद से संबंधित है, जो भगवान विष्णु के परम भक्त थे. हिरण्यकश्यप और उसकी पत्नी कयाधु के पुत्र प्रह्लाद थे. प्रह्लाद का जन्म और पालन-पोषण ऋषि नारद के मार्गदर्शन में हुआ था. प्रह्लाद का जन्म उस समय हुआ जब हिरण्यकश्‍यप अमरता प्राप्त करने के लिए और भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहा था. प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के परम शत्रु थे. वह अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु के भक्त होने के खिलाफ थे.जब प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप की बात मानने से इंकार कर दिया तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका जो एक महिला राक्षस थी को प्रह्लाद को मारने के लिए कहा.

होलिका ने एक विशाल जलते अलाव में प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई
होलिका को आग से बचने के लिए भगवान ब्रह्मा द्वारा उपहार में दी गई दिव्य चादर थी, जो आग में जलती नहीं थी. होलिका ने एक विशाल जलते अलाव में प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई. होलिका ने प्रह्लाद को फुसलाया और अलाव में लेकर चली गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका के बजाय दिव्य चादर ने प्रह्लाद की रक्षा की. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अग्नि प्रज्ज्वलित हुई तो प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप करना शुरू कर दिया. जब भगवान विष्णु ने अपने भक्त को खतरे में देखा तो उन्होंने होलिका की चादर को अपने भक्त प्रह्लाद के ऊपर ओढ़ाने के लिए हवा के झोंके को बुलाया.इस कारण राक्षसी होलिका एक विशाल अलाव में जलकर राख हो गई. भगवान विष्णु की कृपा और दिव्य चादर के कारण प्रह्लाद को कोई नुकसान नहीं हुआ.
इसके बाद भी जब हिरण्यकशिप प्रह्लाद को मारने के प्रयास करने लगा तो भगवान विष्णु प्रह्लाद की रक्षा करने और राक्षस हिरण्यकशिप को मारने के लिए नरसिंह के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए. होली अर्थात होलिका. इस त्योहार को नाम होलिका की कथा से मिला और होली के आग को होलिका के नाम से जाना जाता है.

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