मारांग बुरु (पारसनाथ पर्वत) गिरिडीह जिला अंतर्गत पिरटांड़ प्रखंड में अवस्थित है, जो हम संथाल आदिवासियों का सर्वश्रेष्ठ देव

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स्थल है। मारांग बुरु को संथाल समुदाय ईश्वर के रूप में सृष्टि कल / युगों युगों से पारंपरिक पूजा पद्धति के तहत पूजा अर्चना करते
आ रहे हैं। मारांग बुरु स्थित जुग जाहेर में संथाल समुदाय द्वारा सर्वप्रथम फागुन महीना के तीसरा दिन पारंपरिक रीति रिवाज पूजा
पद्धति के तहत पूजा अर्चना कर बाहा पर्व मानाते है, और बैसाख पूर्णिमा में विशू शिकार सेन्द्रा पर्व मानाते है, साथ ही सिंहभूम,
मानभूम, संथाल परगना सहित हजारिबाग प्रमंडल से शामिल माझी परगना बाबाओं का तिन दिन तक लो बिर बैसी आयोजित होता
है, जो प्रिवी काउंसिल ऑफ लंदन के फैसले 1911 एवं हजारीबाग गजट 1957 में प्रकाशित दस्तावेजों में तथा बिहार राज्य जिला
गजट 1911 में तैयार सर्वे खतियान भूमि अधिकार अभिलेख में स्पष्ट उल्लेख है। कालांतर में जैन समुदाय द्वारा पारसनाथ पर्वत पर
अपना स्वामित्व दवा करते हुए कई बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया मगर हर जगह उन्हें हर का सामना करना पड़ा। भारत सरकार
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचना संख्या 2795 (अ) दिनांक 2 अगस्त 2019 को मरंग बुरु पारसनाथ
पर्वत को परिस्थितिकी संवेदी जोन (इको सेंसेटिव जोन) घोषित किया गया है। मारांग बुरु पारसनाथ पर्वत में जैन समुदाय को
झारखंड राज्य न्यायालय रांची 2004 के आदेश के अनुसार मात्र पहाड़ के चोटी में मात्र 86 डेसिमल भू-भाग में पूजा का छूट दिया
गया है। परंतु पारसनाथ पर्वत की चोटी में वन भूमि पर वन विभाग के साथ मिली भगत कर 50 से भी अधिक मठ, मंदिर एवं रास्ते
अतिक्रमण कर गैर कानूनी रूप से बनाया गया है। जैन समुदाय द्वारा सरकार एवं न्यायालय को दिघभ्रमित करते हुए वन पर्यावरण
एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एकतरफा एवं संवैधानिक ढंग से बिना ग्राम सभा के सहमति से संशोधन मेमोरंडम पत्र f-no
11&534/2014& WL दिनांक 05 जनवरी 2023 राज्य सरकार को जारी किया है। इसी आधार पर जैन समुदाय द्वारा हम संथाल
आदिवासियों के प्रथागत अधिकार (कस्टमरी राइट) पर हमला किया जा रहा है। हमें परंपरागत पूजा पद्धति निर्वहन करने से वंचित
करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। जिससे आदिवासी समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है।
इसीलिए मारांग बुरु बचाओ संघर्ष मोर्चा, आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था एवं आदिवासियों के समस्त सामाजिक
धार्मिक संगठनों द्वारा “अतिक्रमण हटाओ मारांग बुरु बचाओ” अभियान के तहत निम्न प्रकार के कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।
आगामी दिनांक 7 मार्च 2025 को देश के प्रत्येक जिला मुख्यालय में आक्रोश प्रदर्शन करते हुए मारांग बुरु को बचाने हेतु
उपायुक्त महोदय के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल, झारखंड, माननीय मुख्यमंत्री, झारखंड,
अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली, एवं संबंधित सभी जगह पर ज्ञापन भेजा जाएगा।
दिनांक 12 मार्च 2025 को गिरिडीह स्थित मारांग बुरु पारसनाथ पहाड़, पिरटांड प्रखंड, मधुबन फुटबॉल मैदान में विराट
जनआक्रोश महारैली का आयोजन किया गया है, जहां पर देश के विभिन्न राज्यों से समाज के लाखों महिला पुरुष हाथों में पारंपरिक औजार लेकर शामिल होंगे। आज प्रेस वार्ता करते हुए माझी परगना महाल पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था कोल्हान से आदिवासी संथाल समुदाय के लोगों से अपील किया जाता है कि मारांग बुरु को बचाने के लिए भारी संख्या में आयोजित विराट जनआक्रोश महारैली में शामिल होकर और एक हूल का आगाज करेंगे ।

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