जमशेदपुर
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा हो जाएगा. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी है. भारत के हर युवाओं के हाथों में रोजगार होगा, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी है. देश का बच्चा- बच्चा साक्षर होगा. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी है. मगर शिक्षा का मंदिर कैसा होगा जरा उसकी एक बानगी आप देख लीजिए फिर तय कीजिएगा कि प्रधानमंत्री किस बात की गारंटी दे रहे हैं
झारखंड के जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के मानगो स्थित वर्कर्स कॉलेज महाविद्यालय का है. यह सरकारी महाविद्यालय है. जिसमें हजारों छात्र- छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने पहुंचते हैं. मगर ये क्या…. जिस हेलमेट को पहनकर लोग सड़कों पर निकलते हैं आज बच्चे क्लासरूम में हेलमेट पहन कर बैठे हैं
झारखंड की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली लौहनगरी जमशेदपुर स्थित इस महाविद्यालय में हफ्ते भर से विद्यार्थियों के हेलमेट पहनकर क्लास करने की तस्वीर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं. साल 1959 में बने इस कॉलेज के 65 साल बीत चुके हैं. देश इन दिनों अमृत काल का रसपान कर रहा है. दूसरी तरफ जर्जर हो चुके वर्कर्स कॉलेज का छत कभी भी गिर सकता है.
जमशेदपुर के वर्कर्स कॉलेज महाविद्यालय की तस्वीर…. उस जमशेदपुर के कॉलेज की तस्वीर है जिसे मिनी मुंबई कहा जाता है…. उस जमशेदपुर के कॉलेज की तस्वीर है जो झारखंड की आर्थिक राजधानी है…. उस जमशेदपुर की तस्वीर है जहां एक नहीं दर्जन भर हाईटेक और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस निजी शिक्षण संस्थाओं की भरमार है… उस जमशेदपुर की तस्वीर है जहां से दो- दो बार बीजेपी के टिकट पर सांसद विद्युत वरण महतो ने चुनावी जीत हासिल किया… उस जमशेदपुर की तस्वीर है जहां से सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं..
महाविद्यालय के प्राचार्य का पक्ष सुनाते हैं, दरअसल प्राचार्य महोदय को इस बात की चिंता हो रही है कि छात्रों के हेलमेट पहनकर क्लास करने से महाविद्यालय की बदनामी होगी. उन्होंने छात्रों को चेतावनी दिया है, कि यदि हेलमेट पहन कर क्लास करने पहुंचेंगे तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. इतना ही नहीं प्राचार्य महोदय ने वैसे छात्र- छात्राओं को नोटिस जारी करने की बात भी कही है. हालांकि प्राचार्य महोदय ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि वाकई कॉलेज की स्थिति बेहद ही दयनीय है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि महाविद्यालय प्रबंधन जल्द ही छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए उच्च प्रबंधन से बात कर वैकल्पिक रास्ता तैयार करेगा. मगर महाविद्यालय की छवि खराब नहीं होनी चाहिए. इसका ध्यान छात्रों को रखना होगा. मतलब छात्र अपनी जान दे दे और महाविद्यालय अपनी छवि चमकाने में जुटा