देश की सबसे चर्चित वन्दे भारत एक्सप्रेस का परिचालन सभी राज्यों मे हो रहा है। इधर जमशेदपुर से सटे जोंद्रागोड़ा गांव मे वन्दे भारत एक्सप्रेस का आनंद ग्रामीण ले रहे है।

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गांव की एक छात्रा ने इस साल सोहराय मे अपने मिट्टी के घर को वन्दे का रूप दिया है। मिट्टी के रंग से झोपडी मे बनाया गया वन्दे भारत एक्सप्रेस लोगों को आकर्षित कर रहा है।
हम जानते है की भारत गांव का देश है और गांव में साल के बारह महीने में अलग-अलग तरह के पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं।जिनमें प्रकृति की पूजा करने वाला आदिवासी समाज द्वारा मनाया जाने वाला सोहराय पर्व कुछ खास होता है। झारखंड में इस पर्व को मनाने के लिए आदिवासी समाज एक महीने से पूर्व से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। कार्तिक मास में मनाए जाने वाला सोहराय पर्व मे ग्रामीण अपने घरों को खूबसूरत अंदाज मे सजाते है। मिट्टी से बने रंग से मिट्टी के घरो के बाहर मनमोहक कलाकृति ऊकेरी जाती है। पूरा गाँव रंग बिरंगे आकर्षक डिजाइन से सज धज कर तैयार होता है।इस पर्व मे क़ृषि मे साथ देने वाला पशु और नये फ़सल की पूजा होती है।
जोंद्रागोड़ा गांव मे गांव की एक छात्रा पूर्णिमा ने अपने मिट्टी के घर को देश की चर्चित ट्रेन वन्दे एक्सप्रेस जैसा रूप दिया है।पूर्णिमा अपने मोबाईल मे वन्दे भारत एक्सप्रेस को देख हूबहू उसकी कलाकृति अपने घर के बाहर उकेरा है। सफ़ेद और नीले रंग से बना आकृति को देख ऐसा लगता है मानो गांव मे वन्दे भारत ख़डी है।
पूर्णिमा बताती है की सोहराय को हम विशेष रूप से मनाते है घर की साफ सफाई कर दीवारों पर पेंटिंग करते है पेंट बाजार का नहीं होता है इसे हम खुद बनाते है। गांव के लोग वन्दे भारत ट्रेन को नहीं देखे है मोबाईल के जरिये ग्रामीण इस ट्रेन के बारे मे जानकारी मिली है।हमने वन्दे भारत का रूप देकर लोगों को इस ट्रेन के बारे मे बताने का प्रयास किया है। अब मुझे भी लगता है की मै अपने घर मे नहीं वन्दे भारत ट्रेन मे हूं।

वहीं सोहराय मे गांव के बीच वन्दे भारत लोगों को खूब भा रहा है। सुष्मिता का कहना है की हम गांव वाले कभी इस ट्रेन मे सफर नहीं कर सकते हमने इसे देखा भी नहीं है लेकिन गांव की बेटी पूर्णिमा ने अपनी कला के जरिये वन्दे भारत एक्सप्रेस बनाकर दिखाने का काम किया है।

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