रोजगार के लिए सरकार को कोसने वालों को पूर्वी सिंहभूम के एक आदिवासी किसान परिवार से सबक लेने की जरूरत है. अक्सर पढ़ लिख कर युवा नौकरी का रुख करते हैं, मगर कुछ पढ़े- लिखे युवा इतिहास रच डालते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण पेश कर रहे हैं पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर दलमा की तराई स्थित देवघर का एक किसान परिवार. आपको बता दें कि इस किसान परिवार में कोई भी अशिक्षित नहीं है, बल्कि कोई ग्रेजुएट है तो कोई इंजीनियर, मगर नौकरी करना इन्होंने स्वीकार नहीं किया. आज करीब 4 एकड़ जमीन पर गेंदा फूल की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. यह सब कुछ इतना आसान भी नहीं था. इसकी बुनियाद इनके पिता सेवानिवृत्त फौजी एरिक मुंडा ने रखी. 18 साल देश की सेवा करने के बाद दलमा की खूबसूरत वादियों में उन्होंने गेंदा फूल की खेती करने की ठानी. फिर क्या था पूरा परिवार इस पेशे में जुट गया, जो न केवल परिवार के जीविकोपार्जन का साधन बना, बल्कि आसपास के कई युवाओं को रोजगार देने का काम कर रहा है. एरिक मुंडा बिहार में रेजीमेंट में थे. देश की सेवा करने के दौरान एरिक कमांडो की ट्रेनिंग देते थे. आज बेहतरीन नस्ल के गेंदा फूल उगाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. जिसकी इलाके में खूब चर्चा हो रही है.