
शहर सहित आसपास के क्षेत्रों में भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक पर्व भाई दूज बड़े ही हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। सुबह से ही घरों में पूजा-पाठ और तैयारियों का दौर शुरू हो गया था। बहनों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर भाइयों का तिलक किया, आरती उतारी और उनकी लंबी आयु तथा सुख-समृद्धि की कामना की।
दिनभर घरों में उत्सव का माहौल बना रहा और भाई-बहन के रिश्ते की डोर पहले से भी अधिक मजबूत होती नजर आई। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व हर वर्ष प्रेम, स्नेह और एकता का संदेश देता है।
शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने उनका तिलक कर सत्कार किया था। तभी से यह दिन यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है।
भाई दूज का यह पावन पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें रिश्तों की अहमियत और पारिवारिक बंधन की गरिमा को भी याद दिलाता है।