
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के उर्दू स्कूलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जिले के उर्दू माध्यम के स्कूलों में न तो उर्दू किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं और न ही उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। उर्दू माध्यम में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को हिंदी किताबों से पढ़ाई करनी पड़ रही है, जिससे उनकी शिक्षा पर असर पड़ रहा है।
इस गंभीर स्थिति को लेकर झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्ला खान और उपाध्यक्ष शमशेर आलम ने जमशेदपुर सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक के बाद आयोग ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शिकायत करेंगे।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण आज भी उर्दू किताबों का वितरण नहीं हो पाया है और ना ही शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कोई पहल की गई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी इस मुद्दे को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस वर्ष की समीक्षा में यह साफ हो गया कि उन निर्देशों का पालन नहीं हुआ।
शमशेर आलम ने जानकारी दी कि जिले में उर्दू शिक्षकों के 72 पद बीते चार वर्षों से रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से अधिक जिम्मेदार शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारी हैं, जिन्होंने समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए।
बैठक में यह भी सामने आया कि जिले के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में स्वास्थ्य उपकेंद्रों की भी भारी कमी है। आयोग ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि वे ऐसे इलाकों में उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजें।
इसके अलावा बैठक में कब्रिस्तान की चहारदीवारी, अल्पसंख्यक छात्रावास निर्माण, और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जुड़े मुद्दों की भी समीक्षा की गई। आयोग ने संकेत दिया है कि अब राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि यह आकलन किया जा सके कि केंद्र और राज्य सरकार की अल्पसंख्यक योजनाओं का लाभ वास्तव में ज़रूरतमंदों तक पहुंच रहा है या नहीं।