इनके द्वारा इस बाबत एक मांग पत्र जिले के उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया है, इनके अनुसार ये तमाम वैसे क्षेत्र है जहां अनुसूचित जन जाती के लोग निवास करते हैँ, और वहां पंचायती वयवस्था के तहत इनके हितों की रक्षा होती है, लेकिन अगर इन क्षेत्रों को शहरी निकाय मे शामिल किया जाता है तो सुविधाओं के नाम पर यहाँ के लोगों से मुद्रा दोहन किया जायेगा जो यहाँ के निवासी देने मे सक्षम नहीं है, साथ ही यहाँ मौजूद ग्राम सभा के अधिकारों का भी हनन होने लगेगा, जिस कारण से इन क्षेत्रों को सूची से बाहर करना चाहिये.
