फूलों से श्रद्धालुओं ने खेली होली, भक्तिमय भजन पर श्रद्धालु संग जमकर थिरके पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे धार्मिक अनुष्ठान की कड़ी में महाभण्डारा सबसे बड़ी जिम्मेदारी रही। जिसे जमशेदपुर की जनता के सहयोग व प्रभु श्रीराम जी के कृपा से सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। उन्होंने जमशेदपुर की राम भक्त जनता, महिलाएं पुरुष, युवाओं के प्रति आभार जताया, जिनके सहयोग से यह समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कहा कि कलश यात्रा से लेकर नगर भ्रमण व विशाल भंडार में जिस उत्साह से जमशेदपुर के भक्तों ने भाग लिया, उसका शब्दों में वर्णन करना कम ही होगा। कहा कि यहाँ की जनता की भक्ति भावना अद्वितीय एवं सराहनीय है। जमशेदपुर की जनता समेत सभी भक्तों के सहयोग व भक्तिभाव ने सूर्यमंदिरधाम को आज आस्था का केंद्र बिंदु बना दिया है। सूर्य मंदिर समिति यूं ही सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करती रहेगी। श्री दास ने अनुष्ठान में लगे भाजपा कार्यकर्ताओं समेत मंदिर कमिटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के प्रति धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि लगन, निष्ठा एवं समर्पण भाव से किए गए कार्यों के परिणाम भी सुखद होते हैं।
श्री दास ने कहा कि भारत एक धर्म परायण देश है। यही कारण है कि राम कथा हमें प्राचीन काल से आंदोलित और प्रल्ल्वित करते रहे हैं। श्रीराम मंदिर स्थापना के तृतीय वर्षगांठ पर व्यास पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी के कथा को जीवन पर्यंत नहीं भूल सकते हैं। अपने मुखारविंद से नाम महिमा. कथा महिमा, शिव सती प्रसंग, शिव-पार्वती विवाह, राम जन्मोत्सव, बाल लीला, अहिल्या उद्धार, सीता राम विवाहोत्सव, राम वनवास, केवट प्रसंग, भरत मिलाप, सबरी प्रसंग से लेकर सुंदरकांड और श्री राम के राज्याभिषेक उत्सव तक की जो विद्वतापूर्वक प्रस्तुति की वह अद्वितीय और अद्भुत है। भगवान राम संसार के कण-कण में बसे हैं और जीवन के हर क्षण में राम हैं।
सूर्य मंदिर समिति के संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह ने जमशेदपुर की जनता के सहयोग और आशीर्वाद के लिए सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया। उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा में आप सभी भक्तों की आपार समूह ने इस आयोजन को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि सूर्य मंदिर समिति आप सभी के सहयोग से संस्कृति संरक्षण और विश्व कल्याण की दिशा में निरंतर ऐसे आयोजन करती रहेगी।
इससे पहले, संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन श्री अयोध्याधाम से पधारे मर्मज्ञ कथा वाचिका पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात कथा व्यास पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी ने श्रीराम कथा में बताया कि सुंदरकांड के प्रारम्भ में ही श्री हनुमान जी के दिव्य विराट स्वरूप का दर्शन होता है जो राम कार्य के लिए हनुमान जी ने धारण किया। श्री हनुमान जी का सम्पूर्ण जीवन रामकार्यों के लिए ही समर्पित है इसलिए कलयुग में भी श्री हनुमान जी की महिमा सर्वाधिक वंदनीय है।
सुरसा सिंह का और लंकिनी रूपी विधनों को पार करते हुए हनुमान जी लंका में पहुंचे वहां विभीषण से मिलकर श्री जानकी जी का पता लेकर श्री हनुमान जी अशोक वाटिका में आये और माता सीता का दर्शन किया। यहां संकेत है कि यदि भाव सच्चा हो तो सुदूर विघ्नों के बीच जाकर भी जीव भक्ति देवी की कृपा प्राप्त कर सकता है।
जानकी जी को भगवान का संदेश देकर एवं लंका को जलाकर हनुमान जी भगवान के पास वापस आये। तत्पश्चात भगवान सेना सहित लंका में पहुंचे जहां राम-रावण युद्ध प्रारम्भ हुआ जो धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य का युद्ध है। भगवान को विजय श्री प्राप्त हुई क्योंकि यह सनातन सिद्धान्त है कि विजय हमेशा सत्य की ही होती है।
रावण वध के पश्चात भगवान लौटकर अयोध्या में आए। जहां भगवान का राजतिलक किया गया। राम राज्य दोषों, दुर्गुणों, दुःख ददों आदि को मिटाकर सुखी एवं समृद्ध जीवन की आशा से परिपूर्ण है। समस्त भक्तजनों ने रामराज्य तिलक में भाव से सम्मिलित होकर सुखी एवं समृद्ध होकर राष्ट्र की कामना करते हुए एक दूसरे को बधाई दी। श्री राम राजतिलक के साथ ही श्रीरामकथा ने विश्राम प्राप्त किया। पूरे कथा में श्रद्धालुओं ने भक्तिमय संगीत में जमकर आनंद लिया और जमकर झूमे