जमशेदपुर से राष्ट्रपति और मानवाधिकार आयोग को सौंपा गया स्मार पत्र — उड़ीसा के एम.वी.-26 गांव में बांग्लाभाषी विस्थापितों पर हमले के खिलाफ उठी आवाज

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जमशेदपुर, 10 दिसंबर:
उड़ीसा राज्य के एम.वी.-26 गांव में बांग्ला भाषी उद्वासित/विस्थापित परिवारों पर हुए हिंसक हमले और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं के विरोध में आज जमशेदपुर में एक गंभीर चिंता व्यक्त की गई।
इस संदर्भ में मुक्त मंच एवं झारखंड बांधव समिति के प्रतिनिधिमंडल ने एकजुट होकर राष्ट्रपति महोदय एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के नाम एक स्मार पत्र सौंपा, जिसमें पीड़ित परिवारों की सुरक्षा और न्याय की मांग की गई
उड़ीसा के एम.वी.-26 गांव में हुए हिंसक हमलों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए।
बांग्ला भाषी उद्वासित/विस्थापित परिवारों को सुरक्षा, पुनर्वास और मुआवज़ा प्रदान किया जाए।
इस घटना में लिप्त लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
भाषाई अल्पसंख्यकों के संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
यह केवल पीड़ित परिवारों के प्रति हमारा नैतिक दायित्व नहीं, बल्कि पूरे देश में भाषाई अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, मानवाधिकार और भारतीय संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता भी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज जब देश “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब किसी भी राज्य में भाषा, क्षेत्र या जातीय पहचान के आधार पर हिंसा या भेदभाव भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ है।
“हम न्याय, मानवता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हैं। मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

📍 प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख लोग:

स्मार पत्र सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में मुक्त मंच एवं झारखंड बांधव समिति के कई पदाधिकारी और समाजसेवी शामिल थे। उन्होंने जिला प्रशासन से भी आग्रह किया कि इस मामले को तत्काल उच्च स्तर पर संज्ञान में लिया जाए और पीड़ित परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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