दलमा क्षेत्र ग्राम सभा सुरक्षा मंच के नेतृत्व में इस प्रदर्शन में पटमदा, चांडिल, बोड़ाम, डिमना, पारडीह, गालूडीह, घाटशिला, मुसाबनी समेत कोल्हान के सुदूरवर्ती इलाकों से हज़ारों ग्रामीणों ने भाग लिया। हाथों में बैनर, पोस्टर और संकल्पों के साथ महिलाएं हम वनवासी हैं, बेघर नहीं होंगे और जंगल हमारा है, उजाड़ा नहीं जाएगा जैसे नारे लगाए. ग्रामीणों ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि वे वर्षों से जिस ज़मीन पर बसे हैं, उस पर उन्हें व्यक्तिगत वन पट्टा नहीं दिया जा रहा है। बार-बार दस्तावेज़ की मांग कर उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है, जबकि यही ज़मीन उनके पूर्वजों की रही है. प्रदर्शनकारीयों ने कहा की ये सिर्फ ज़मीन का मामला नहीं, बल्कि अस्तित्व और पहचान का सवाल है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब देश में वन अधिकार अधिनियम लागू है, तो फिर जंगलों में पीढ़ियों से बसे समुदायों को उजाड़ने की कार्यवाही संविधान के किस अनुच्छेद के तहत की जा रही है.

