संस्कृति फाउंडेशन ने स्तन कैंसर के प्रति महिलाओं में जागरूकता बढ़ाने पर जोर

बर्मामाइंस जेम्को रॉयल इंटरनेशनल स्कूल में संस्कृति फाउंडेशन सहयोग से एक स्तन कैंसर जागरूकता वार्ता सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 50 महिलाओं ने हिस्सा लिया। जागरूकता सत्र का संचालन एमजीएम डॉ. बनिता सहाय ने किया, जिन्होंने स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलते हुए, स्तन कैंसर के लक्षणों, स्व-स्तन परीक्षण और बीमारी का जल्द पता लगाने और इलाज के लिए स्क्रीनिंग के महत्व पर जोर दिया।वर्तमान में, स्तन कैंसर की घटनाएं बढ़ रही हैं और देर से पता चलने से इलाज करना मुश्किल हो जाता है। प्राथमिक लक्षणों को समझना, रोकथाम की दिशा में एहतियाती कदम उठाना बहुत जरूरी है। समय-समय पर जांच कराकर रोग और शिथिलता के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है और इसलिए जल्दी इलाज किया जा सकता है।प्रत्येक महिला को एक स्व-परीक्षण करनी चाहिए, और यदि उन्हें गांठ या कोई असामान्य गांठ मिलती है, तो उन्हें किसी विशेषज्ञ के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए। सही समय पर निदान प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।”इन जागरूकता शिविरों के साथ, एचसीजी अधिक से अधिक लोगों से लक्षणों की जांच और उपचार के विकल्पों के लिए आगे आने का आग्रह करता है स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसरों में से एक है।

पूर्व टीएमएच डॉ आशा गुप्ता ने कहा, “भारत में कैंसर का देर से पता लगना सबसे बड़ी समस्या है और कैंसर नियंत्रण की कुंजी सही समय पर सटीक उपचार देना है। हम इस मिशन के लिए समर्पित हैं, और हम मानते हैं कि बीमारी का जल्द पता लगाना से ही आधी लड़ाई जीत ली जाती है और हमारा निरंतर दृष्टिकोण महिलाओं को स्तन कैंसर के बारे में शिक्षित करने और इससे जुड़े मिथकों को तोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाना है।” संस्कृति फाउंडेशन अध्यक्ष मुनमुन चक्रवर्ती, रॉयल इंटरनेशनल स्कूल प्रिंसिपल शालिनी सिन्हा, सोमा चटर्जी, मैं कार्यक्रम में सहयोग किया

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