सरायकेला जिले के नीमडीह प्रखंड के आंडा में बुधवार की रात सूखे कुएं में गिरे हाथी बच्चे की 40 घंटे के बाद मौत हो गई.

घायल हाथी बच्चे की मौत उस समय हुई जब वन विभाग के कर्मी रस्सी से बांधकर उसे जेसीबी से खींचकर बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे. ग्रामीण इसे वन विभाग की घोर लापरवाही बता रहे हैं. बताया गया कि कुआं में गिरने के बाद हाथी को किसी प्रकार का खाना नहीं दिया गया. वहीं ऊपर से पानी डालकर उसको पीने के लिए दिया जा रहा था. कुएं में गिरने के बाद हाथी को निकालने के लिए वन विभाग गुरुवार सुबह से ही प्रयासरत था. दो जेसीबी और ट्रैक्टर लगाकर हाथी को निकालने के लिए स्लोप बनाया जा रहा था. शुक्रवार दोपहर तक स्लोप बनाने का काम पूरा कर लिया गया था. वही दोपहर एक बजे हाथी को निकालने का काम शुरू किया गया. हाथी को रस्सी से बांधकर उसे खींचकर बाहर निकल रहे थे. इस दौरान करीब दो बजे हाथी की मृत्यु हो गई.

हाथी बच्चे की मृत्यु के बाद वन विभाग की ओर से बताया गया कि अब मृत हाथी बच्चे का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. हाथी की मृत्यु के सही कारण का पता लगाने के लिए उसका सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए रांची भेजा जाएगा. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब 30 फीट नीचे गिरने के कारण हाथी को कमर और पीछे के दोनों पैर में गंभीर चोट लगी थी. वही हाथी को कुएं से बाहर निकालने के समय चांडिल के प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा. विष्णु शरण महतो और नीमडीह के प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सक डॉ राजेंद्र प्रसाद अपने टीम के साथ हाथी का ईलाज करने पहुंचे थे. इधर कुएं में गिरे हाथी बच्चे की मृत्यु के बाद काशीपुर के ग्राम प्रधान मदन माझी ने इसे वन विभाग की लापरवाही बताया. उन्होंने कहा कि जंगली हाथी मामले में वन विभाग ने उदासीन रवैया अपनाया है. उन्होंने कहा कि गुरूवार की रात काशीपुर गांव में हाथियों के झुंड ने जमकर उत्पात मचाया. लोगों का धान, आलू आदि फसल खाया और मकान को नुकसान पहुंचाया. घटना के बाद से लगभग 16 हाथियों के झुंड घटना स्थल से 100 मीटर के आसपास भ्रमण कर रहे हैं. जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है. वहीं हाथी मामले में ठोस पहल नहीं करने के कारण आंडा, कल्याणपुर, कांशीपुर, लावा, हुटू, तिलाईटांड़ आदि के ग्रामीण वन विभाग प्रति काफी अक्रोशित है.
वहीं ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के वरिष्ठ नेता पंचानन पांडा ने कहा कि दर्जनों गांवों के निवासी चांडिल डैम से विस्थापित है. विस्थापन का दंश झेलने के बाद अब जंगली हाथियों से ग्रामीणों को जान व माल की क्षति का सामना करना पड़ रहा हैं. उन्होंने जंगली हाथी की मृत्यु होने के संबंध में कहा कि हाथी के कुएं में गिरने के बाद विभाग सक्रियता नहीं दिखाई. विभाग की ओर से हाथी को बाहर निकालने के लिए सिर्फ स्लोप ही खोदा जा रहा था. कुएं में गिरे घायल हाथी की जिंदगी कैसे बचे, उसे पर्याप्त आहार कैसे मिले इस ओर विभाग ने तनिक भी ध्यान नहीं दिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *