सरायकेला: सरायकेला एवं सीनी सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्रद्धा भाव के साथ वट सावित्री का व्रत पूजन किया गया। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने निर्जला उपवास व्रत रखते हुए स्नान ध्यान कर सोलह श्रृंगार कर वटवृक्ष के नीचे पहुंची। जहां वट वृक्ष की पूजा करते हुए सौभाग्य कामना के धागा लपेटते हुए वट वृक्ष की परिक्रमा किए। इसके बाद ऋतु फल और प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाते हुए सत्यवान सावित्री की कथा का श्रवण किए। जिसके बाद श्रृंगार के सामग्री का दान करते हुए वटवृक्ष के समक्ष अखंड सौभाग्य की मंगल कामना किए। और सुहागिनों ने एक दूसरे को सिंदूर लगाते हुए वट सावित्री व्रत की शुभकामनाएं दी। इसके बाद अपने सुहाग को पंखा झलते हुए सुहाग के हाथों से जल शरबत ग्रहण कर निर्जला उपवास में खोलें। मान्यता है कि सुहागिनों द्वारा वट सावित्री पूजन करने से उनके सुहाग को दीर्घायु की प्राप्ति होती हैं।