अद्भुत… देखकर हो जाएंगे हैरान… झारखंड के लोहरदगा में खेली जाती है ढेला मार होली


लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के बरही गांव में ढेला मार होली की परंपरा है। यहां होली खेलने और देखने के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं। यहां होलिका दहन स्थल पर लकड़ी का खूंटा छूने के लिए लोग दौड़ लगाते नजर आते हैं। उन पर दर्शक पत्थर मारते हैं।

आपने मथुरा, वृंदावन, पुस्कर, आगरा आदि की खास होली के बारे में जरूर सुनी होगी। कहीं रंग -गुलाल तो कहीं मिट्टी और कीचड़ एवं कहीं लट्ठमार होली खेली जाती है। लेकिन लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के बरही गांव में ढेला मार होली खेली जाती है। होली खेलने की यह खास परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। इस खास होली को देखने हजारों की भीड़ उमड़़ती है।

कई वर्षों से गांव में चली आ रही यह परंपरा

यहां के लोग वर्षों से होली की इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। बरही स्थित देवी मंडप के पास परंपरा के अनुरूप होलिका दहन किया जाता है। यहां एक लकड़ी का खूंटा गाड़ा जाता है। होली के दिन इस लकड़ी के खूंटे को छूने को लेकर लोगों में होड़ मचती है। काफी संख्या में दर्शक पहुंचते हैं। पहले खंभे को छूने को लेकर लोग भागते हैं। इसी बीच दर्शक भाग रहे लोगों पर पत्थर मारते हैं।

खंभा छूने से सुख, शांति, सौभाग्य की होती प्राप्ति

मान्यता है कि जो पत्थरबाजी के बावजूद बिना डरे खंभे को छू लेता है, उसे सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस कार्यक्रम में गांव के लोग ही भाग लेते है। लेकिन इसे देखने के लिए बाहर के लोग भी आते हैं। इस परंपरा को निभाने और प्रतियोगिता में शामिल होने को लेकर लोगों में उत्सुकता नजर आती है। होलिका दहन के दिन पाहान-पुजार पूजा करते हैं। होलिका दहन से जो धुंआ निकलता है, उसके आधार पर आगामी बरसात में वर्षा अधिक या कम होने का अनुमान लगाया जाता है। धुआं गाढ़ा तो बेहतर बरसात, धुआं कम तो कम बारिश का अनुमान लगाया जाता है।

कभी किसी को पत्थर मारने से चोट नहीं लगी

गांव के वृद्ध कहते हैं कि कभी किसी को पत्थर मारने से चोट नहीं लगी है। सैकड़ों की संख्या में लोग ढेला मार होली में भाग लेते है। इसे देखने को लेकर लोग लोहरदगा के विभिन्न स्थानों से ही नहीं, बल्कि रांची, गुमला, सिमडेगा के सीमावर्ती क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से आते हैं। बरही, सेरेंगहातु तोड़ार, मसमानो, भंडरा, भुजनियां, सेन्हा आदि क्षेत्र के लोगों की भीड़ बरही गांव में उमड़ पड़ती है। सेन्हा प्रखंड से जिला परिषद सदस्य राम लखन प्रसाद का कहना है कि यह परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है। आपसी सौहार्द के साथ होली एवं ढेला मार होली मनाई जाती है।


जिला परिषद सदस्य लखन प्रसाद का कहना है कि ढेला मार होली हमारे परंपरा का अभिन्न अंग है हमारे पूर्वज एवं गांव के पहन पुजार का मानना है कि इस परंपरा को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में देखा जाता है।

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